Add To collaction

लेखनी कहानी -29-Dec-2023 कविता

*लहु की बूंद*

राहत है अपनो से जब आँखियों से रस प्रेम भर टपके ।
आई विपदा उनपे आँखियों से खारे अश्क़ भर टपके ।

हमतो तो अंधेरे में ढूंढते थे जिन्हें रात भर तन्हा,
वो शाम मयखानों में बन प्याला मय की बून्द भर टपके ।

क़ातिल नज़रों से उसने वार किया दिलपे मेरे दिलवर,
जब उल्फ़त के जख्मों पे बन जो लहु की बूंद भर टपके ।

     *के,के,कौशल*
  इन्दौर, मध्यप्रदेश

   15
4 Comments

Gunjan Kamal

31-Dec-2023 11:14 AM

👏👌

Reply

Reyaan

30-Dec-2023 11:26 AM

Nyc

Reply

Shnaya

30-Dec-2023 10:28 AM

Nice one

Reply